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Channel: अमरपाल सिंह वर्मा  – Navbharat Times Readers Blog
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करणपुर में हार, भाजपा को राजस्थान में बड़ा झटका

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-अमरपाल सिंह वर्मा-
चंद महीनों बाद होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुटी भाजपा को आज राजस्थान में बड़ा झटका लगा है। राज्य के श्रीगंगानगर जिले की करणपुर विधानसभा सीट के चुनाव में भाजपा को मुंह की खानी पड़ी है। पार्टी ने करणपुर को फतह करने के लिए क्या-कुछ नहीं किया। पार्टी ने अपने प्रत्याशी को चुनाव में जीतने से पहले ही राज्य सरकार में मंत्री तक बना दिया लेकिन यह दांव भी बेअसर साबित हो गया है। भाजपा प्रत्याशी चुनाव हार गए हैं और कांग्रेस अपने प्रत्याशी की जीत पर दिवाली मना रही है।
करणपुर में नवम्बर में चुनाव होने थे। तब कांग्रेस ने यहां पूर्व मंत्री गुरमीत सिंह कुन्नर को चुनाव मैदान में उतारा जबकि भाजपा ने पूर्व मंत्री सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी को टिकट दिया। कांग्रेस प्रत्याशी कुन्नर का निधन हो जाने से तब वहां मतदान नहीं हो पाया। फिर चुनाव आयोग ने 5 जनवरी को चुनाव कराना तय किया। इसके बाद कांग्रेस ने स्वर्गीय कुन्नर के बेटे रूपिन्दर सिंह कुन्नर पर दांव खेला। करणपुर सीट को जीतने के लिए भाजपा ने जी तोड़ कोशिश की। करणपुर में भाजपा प्रत्याशी सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी को चुनाव जीतने से पहले ही राज्य की भजनलाल शर्मा सरकार मेें राज्य मंत्री बना दिया गया। भाजपा के इस दांव से हक्की-बक्की कांग्रेस ने इसे आदर्श आचार संहिता और नैतिकता का उल्लंघन बताया एवं चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि किसी उम्मीदवार को चुनाव जीतने से पहले ही मंत्री बना देने का इतिहास में यह पहला मामला है। इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ।
भाजपा ने करणपुर मेंं पूरी ताकत झोंक दी। मुख्यमंत्री भजनलाल, प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी समेत विभिन्न बड़े नेताओं ने वहां चुनाव प्रचार किया। कांग्रेस ने भी खूब प्रयास किए। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट आदि नेताओं ने मतदाताओं के बीच जाकर वोट मांगे। भाजपा को जहां पहले अपने पिता के निधन के बाद चुनाव मैदान में उतरे कांग्रेस प्रत्याशी रूपिन्दर के समर्थन में सहानुभूति लहर का डर सता रहा था, वहीं  अपने उम्मीदवार को जीतने से पहले ही मंत्री बनाकर भाजपा करणपुर मेंं जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त हो गई लेकिन मतदाताओं ने कांग्रेस प्रत्याशी को विजयी बनाकर भाजपा को निराशा से भर दिया है।  भाजपा ने  अपने जिस पूर्व मंत्री टीटी को चुनाव से पहले ही मंत्रिमंडल में शामिल किया, वह 11283 वोटों से हार गए हैं।
करणपुर का परिणाम भाजपा के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है क्योंकि भाजपा पिछले ही महीने राजस्थान विधानसभा चुनाव जीत कर अपनी सरकार बनाने मेंं सफल रही है। करणपुर का चुनाव प्रदेेश भाजपा सरकार के लिए परीक्षा की पहली घड़ी के रूप मेंं देखा जा रहा था, जिसमेंं फेल होने के कारण भाजपा में मायूसी स्वाभाविक है। करणपुर की हार से राज्य की भाजपा सरकार की स्थिति पर कोई फर्क पडऩे वाला नहीं है क्योंकि पार्टी के पास 115 यानी पूर्ण बहुमत से भी ज्यादा विधायक हंै।
करणपुर में जीत से विधानसभा मेंं कांग्रेस की सीटें 69 से बढ़कर 70 हो गई हैं। कांग्रेस में किस कदर उत्साह का माहौल है, इसे करणपुर के परिणाम पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रतिक्रिया से समझा जा सकता है। गहलोत ने कहा है कि जनता ने भाजपा के अभिमान को हराया है। चुनाव के बीच प्रत्याशी को मंत्री बनाकर आचार संहिता और नैतिकता की धज्जियां उड़ाने वाली भाजपा को जनता ने सबक सिखाया है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि जनता ने भाजपा का घमंड तोड़ दिया है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने तंज कसा है कि सरकार मंत्री बना सकती है, विधायक नहीं।
इस पराजय का भजनलाल सरकार पर कोई असर भले नहीं पड़ रहा लेकिन करणपुर की हार ने कांग्रेस को एक मुद्दा अवश्य दे दिया है, जिसे कांग्रेस आने वाले समय में भाजपा के खिलाफ इस्तेमाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।  कांग्रेस करणपुर के बहाने राज्य के मुख्यमंत्री और फिर मंत्रिमंडल के गठन एवं इसके बाद मंत्रियों को विभागों के बंटवारे में देरी जैसे मुद्दों को हवा देकर भाजपा को घेरने में जुटेगी।
आने वाला समय राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि मई में लोकसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। केन्द्र में फिर से मोदी सरकार बनाने के लिए  राजस्थान की गिनती भाजपा के लिए अत्यंत उर्वर राज्यों में होता है क्योंकि यहां की जनता सभी 25 सीटें उसकी झोली में डालती चली आ रही है। पिछले दो लोकसभा चुनाव मेंं सभी 25 सीटों पर भाजपा को ही विजयी मिली है। आगामी लोकसभा चुनाव मेें पार्टी अपनी जीत का सिलसिला इसी प्रकार बनाए रखे, यह उसके लिए बड़ी चुनौती है।
कल तक भाजपा में पूरी तरह फील गुड का वातारण था। जयपुर में हुई डीजीपी कांन्फे्रंस मेंं आए पीएम नरेन्द्र मोदी प्रदेश भाजपा को लोकसभा चुनाव में जीत सुनिश्चत करने के मंत्र देकर गए थे। इन सक्सेस मंत्रों का इस्तेमाल भाजपा लोकसभा चुनाव में करने की तैयारी कर पाती, उससे पहले ही करणपुर की हार पार्टी के लिए अपशगुन बनकर आई है। प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने करणपुर की हार की समीक्षा कराने का एलान किया है। यह समीक्षा जरूरी भी है क्योंकि तभी पार्टी अपनी कमजोरियों को दूर कर पाएगी। भाजपा इसे केवल एक सीट की हार कहकर खारिज नहीं कर सकती। ऐसा करना राजनीतिक दृष्टि से कितना नुकसानदेह हो सकता है, इसे चुनावी बिसात बिछाने  में महारत रखने वाली भाजपा से ज्यादा कौन समझ सकता है?
(लेखक राजस्थान के वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार हैं।)


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